जय श्री राम

श्री जयकांत कुमार वत्स

‘एन आर्ट ऑफ बेस्ट लिविंग’ के फॉउंडर और अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू सेना के अंतर्राष्ट्रीय संगठन महामंत्री समाज सेवी श्री जयकांत कुमार वत्स जी का जन्म 11 मार्च 1981 को फाल्गुन चतुर्दशी शिव रात्रि की रात बिहार प्रदेश के औरंगाबाद जिले के एक भूमिहार ब्राह्मण परिवार में हुआ था। कम आयु से ही भगवान का भजन संगीत गाना और जरूरतमंदों की मदद व सेवा करना और फुटबॉल खेलना उन्हें बहुत पसंद था। 
कई दफा उन्होंने जरूरतमंदों की मदद करने हेतु सीमा लांघ दी जिस कारण उन्हें अपने माता- पिता से बहुत डाट लगती थी। उन्हें उनके फुआ के घर पढ़ने के लिय भेज दिया गया था।
वे अपने माता-पिता की छटवीं संतान हैं। उनके पिता जी का नाम श्री रामाधार शर्मा और माता जी का नाम कपीलन देवी है। उनका पालन-पोषण  पूरे संयुक्त परिवार के बीच हुआ था। गांव में शुभ कार्य का श्रीगणेश लोग इनसे ही करवाते थे। उन्हे बचपन में शंभू, बाबु और पप्पू शर्मा से लोग पुकारते थे, वे अपने जीवन में अपने दादा जी और दादी से  प्रभावित थे, दादी बहुत दयालु और आध्यात्मिक प्रवृति की महिला थीं, उनके दादा श्री दल शृंगार शर्मा धार्मिक प्रवृति के थे।  रामचरितमानस से अगाध जुड़ाव रखते थे, जयकांत जी की बचपन से ही रुचि सामाजिक – परोपकार के कार्यों और आध्यात्मिक जीवन में थी।  वे विशेष रूप से सामाजिक कार्यों को करने, संतों,योगियों,ऋषियों और गुरुजनों की संगति में रहने और उनकी सेवा करने में रुचि रखते हैं। 
उनको कोई बाधा या नुकसान पहुंचाता है तो भी वह किसी पर दोष न मढ़कर अपने  प्रारब्ध का कारण समझकर उसे नजरअंदाज  कर देते है।  जिसके कारण उनका रिश्ता हमेशा सभी से बना रहता है। सभी के लिए सकारात्मक सोच रखते है। इनके जीवन मे सादगी  इनकी पहचान है अपने दैनिक जीवन मे योग आयुर्वेद से  जुड़े हैं। उनकी शादी 25 साल की उम्र में बिहार के ग्राम बड़हिया  के प्रतिष्ठित परिवार में हुई। 
इन्होंने अपनी आगे की प्रोफेशनल पढ़ाई तमिलनाडु के गोपी- चट्टी पालयम में सबसे बड़े भाई श्री विजय कुमार शर्मा जी के यहां रहकर पूरी की और इनकी पहली नौकरी दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम में दुसरे बड़े भाई श्री मनोज शर्मा जी के रेफरेंस से एक ब्रांडेड और माल्टिनेशनल कंपनी कन्वर्जिस में इंटरव्यू के माध्यम से बीडीओ(बिलिंग डेवलपमेंट ऑफिसर) के पद पर हुई थी। 
उनके इमिडिएट बोस के द्वारा काम के दौरान बिना कोई गलती के गाली देने पर उन्होंने उस बॉस की पिटाई की थी ,जोकी सीसीटीवी कैमरा में कैद हो गया था। जिसके कारण उन्हें वार्निंग लेटर मिला था। चुकी ट्रेनिंग पीरियड में थे कोई अनुभव कॉरपोरेट लाइफ का नही था इसलिए उन्होंने रिजाइन दे दिया था। इसके उपरान्त आप तीसरे बड़े भाई श्री बसंत शर्मा जी के घर गुरुग्राम में ही रहने लगे थे। 10 दिन गुजरने पर भाई बसंत शर्मा जी का दबाव आने लगा उनपे की बिना नौकरी का क्यों बैठा है, कोई और नौकरी पकड़ लो पर उस समय भाई की बात उन्हे अच्छी नहीं लगी और वो अपने पैतृक गांव चले गए और छः माह गांव में  बिता दिए व किसानी का अनुभव भी मिला। वह छः महीना उनके कॉरपोरेट जीवन का उनके करियर में करीब 6 साल पिछे कर दिया था लेकिन  सँघर्ष का दौर जारी रहा।  फिर वह वापस गुरुग्राम भइया-भाभी के पास गए। भगवान शिव और नंदी के के प्रताप से आईबीएम जैसी बड़ी कम्पनी मे नॉकरी एक्सक्यूटिव में लग गई।  उनके इमिडियट बॉस अमरेश कुमार से उन्हें कॉरपोरेट जगत के बारे में अनुभव मिला। उनके मैनेजर श्री राजीव धवन ने उनके मेहनत से प्रभावित होकर उन्हें प्रमोशन भी दिया, आईबीएम में सारे डिपार्टमेंट से इनका तालमेल बहुत अच्छा हो गया था। कई बड़ी बड़ी कम्पनी में सेवा दी और हजारों लोगों को रोजगार भी दिया फिर एचसीएल कम्पनी से जुड़े। उस कंपनी में वह सफलतापूर्वक लीड किए और हजारों लोगों को नौकरी वहां भी दिलवाई।
नौकरी के साथ साथ प्रोपर्टी व्यवसाय, बिल्डर का कार्य भी करते रहे। हज़ारों किरायदारों को किस्त में प्लॉट देकर मकान मालिक बनवाने का कार्य भी किया है और अपने आप और परिवार को संतुलित करते हुए समाजिक कार्यों कभी छोड़ा नही। 2009 में गया जी के सबरी आश्रम में  समाजिक समरसता के साथ घर वापसी पर जोर दिया, लेकिन राजनीतिककारों को उनके कुर्सी जाने का डर हो गया था इसलिए दूसरी चाल चल के उन गरीबों को थोड़ा लोभ देकर टीम को तोड़ दिया था फिर वत्स जी बिहार से अपने दिमाग को अपने व्यावसाय में लगाया और मजबूत बनकर 2017 और 2019 के बीच सैकड़ों  संकल्प सभाएं करवा कर पटना के गांधी मैदान में कुछ खास वर्ग के लाखों लोगों को जुटा कर सामाजिक समरसता का परिचय दिया, फिर गुरुकुल की शुरुवात करने के लिए ब्रह्मर्षि विकास मंच फेडरेशन एनजीओ का निर्माण किया जिसमे  बिहार, झारखंड, पूर्वांचल और हरियाणा में काफी लोगों को जोड़ा गया और इस एनजीओ को अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू सेना का विंग बनाकर ब्रह्मर्षि विकास मंच फेडरेशन के जरिए गुरुकुल ब्रह्मर्षि विद्या मंदिर का निर्माण करने हेतु संकल्पित हैं।